बसना– वन परिक्षेत्र बसना के अंतर्गत पदस्थ रेंजर श्री सुखराम निराला के देखरेख में तिलाईदादर से लिमदरहा डब्ल्यू.बी.एम. मार्ग में पुलिया निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितता और घटिया निर्माण की शिकायतें सामने आई हैं। स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार अग्रवाल ने 04 अप्रैल 2024 को वनमंडलाधिकारी महासमुंद को इस संबंध में लिखित शिकायत दी थी जिसमें कार्य का फोटो भी संलग्न था ।

शिकायत के अनुसार, सात पुलिया निर्माण कार्य के लिए 45,01,000 रुपये की स्वीकृत राशि प्राप्त हुई थी। इस निर्माण में फाउंडेशन का कार्य एवं वॉल अप टू GL के कार्य को एस्टीमेट के अनुसार पीसीसी ग्रेड M-15 का उपयोग होना चाहिए था, परन्तु फाउंडेशन के कार्य को पत्थर से जोड़ाई कर दिया गया है एवं पुलिया निर्माण कार्य में एबटमेंट में 16 मीटर और रिटर्न वाल में 12 मीटर में 100 एम.एम. डाया का ए.सी. पाइप लगना था परन्तु किसी भी कार्य में पाइप का उपयोग नहीं किया गया है ,एवं विभाग द्वारा घटिया सामग्री और कम ग्रेड का उपयोग किया गया। स्लैब कास्टिंग में जहाँ 7.50 मीटर चौड़ाई होनी चाहिए थी, वहाँ मात्र 3 मीटर में काम पूरा करवा लिया गया।

इस मामले में विभाग ने गंभीरता दिखाते हुए उप वनमंडलाधिकारी सरायपाली द्वारा दिनांक 05 अप्रैल 2025 को पत्र जारी कर जाँच के लिए दिनांक 16 अप्रैल 2025 को दोपहर 12 बजे स्थल निरीक्षण की तिथि निर्धारित की थी। इस दौरान वरिष्ठ अभियंता व संबंधित अधिकारीगण को मौके पर उपस्थित रहना था।

लेकिन, हैरानी की बात है कि 16 अप्रैल 2025 की तिथि भी निकल गई और अब तक कोई जाँच कार्यवाही शुरू नहीं की गई। जिससे ग्रामीणों में रोष है। आवेदक अजय अग्रवाल और अन्य ग्रामीणों का कहना है कि विभाग बार-बार तिथि तय कर मामले को टाल रहा है। इससे स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारी दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

ग्रामीणों ने वनमंडलाधिकारी महासमुंद और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से माँग की है कि जल्द से जल्द उच्च स्तरीय जाँच करवाई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।

ग्रामीणों का आरोप–
ग्रामीणों का कहना है कि इस पुलिया निर्माण में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ी धांधली की गई है। पाइप डालने तक का कार्य नहीं किया गया और घटिया सामग्री का खुलकर उपयोग किया गया। इससे भविष्य में सड़क और पुलिया दोनों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहेगा।

शिकायतकर्ता का बयान–
शिकायतकर्ता अजय अग्रवाल ने कहा कि — “मैंने पूरे प्रमाण और साइट की फोटो सहित आवेदन दिया है। विभाग ने 16 अप्रैल को निरीक्षण की तिथि भी तय की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ है कि अधिकारी दोषियों को बचा रहे हैं। अगर शीघ्र जांच नहीं हुई तो हम इस मामले को उच्च न्यायालय और मुख्यमंत्री तक ले जाने को बाध्य होंगे।”

यह मामला अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग विभागीय लापरवाही व भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रोशित हैं।